Tuesday, November 20, 2018

रैली रद्द करने को कांग्रेस ने दिया था 25 लाख का ऑफर

तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार जोरों पर चल रहा है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया. यहां निर्मल में एक रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इस जगह रैली को कैंसिलकरने के लिए 25 लाख रुपये का ऑफर दिया था.

ओवैसी ने आरोप लगाया, ''कांग्रेस ने निर्मल में रैली रद्द करने के लिए उन्हें 25 लाख रुपये का ऑफर दिया था, लेकिन मैं उनमें से नहीं हूं जो बिक जाए.''

ओवैसी के इस आरोप पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी जवाब आया है. कांग्रेस नेता मीम अफजल ने कहा कि ओवैसी और बीजेपी एक सिक्के के दो पहलू हैं, बीजेपी भी राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ ही बोलती है. ओवैसी सिर्फ बीजेपी की मदद करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आरोप लगाकर ओवैसी अपनी रैली को चर्चा में लाना चाहते हैं, ये सब निराधार है.

राहुल को भी निशाने पर लिया

आपको बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने इसी रैली में राहुल गांधी पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि एक तरफ कांग्रेस खुद को सेकुलर होने का दावा करती है तो दूसरी तरफ पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में एक प्रतिष्ठित वकील को बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई लड़ने को मना कर दिया है.

आपको बता दें कि राज्य में सभी 119 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 7 दिसंबर को मतदान होंगे और 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दो बार सुनवाई हुई. सुबह सबसे पहले कोर्ट लगते ही इस केस की सुनवाई शुरू हुई और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को कुछ दस्तावेज देते हुए पूछा कि जो रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी गई, वो पहले ही सार्वजनिक कैसे हो गई.

कोर्ट ने नरीमन से ये पूछते हुए सख्त लहजे में नाराजगी जाहिर की और सुनवाई 29 नवंबर तक टालने का आदेश दिया. फली नरीमन ने भी इस पर अफसोस जताया और कहा कि उन्हें खुद इस बात की जानकारी नहीं है कि ये रिपोर्ट कैसे बाहर आई.

इसके बाद फली नरीमन ने कोर्ट से फिर अपील की और गोपनीय जवाब मीडिया रिपोर्ट में लीक होने पर सफाई दी. वरिष्ठ वकील नरीमन ने कोर्ट को बताया कि यह रिपोर्ट 17 नवंबर को छपी थी, जबकि कोर्ट ने आलोक वर्मा को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 16 नवंबर को आदेश दिया था. हालांकि, चीफ जस्टिस उनके इस जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए और उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सर्वोच्च गोपनीयता बरती जानी चाहिए.

भावुक हुए नरीमन

कोर्ट ने सख्त लहजे में नरीमन को सीवीसी और मीडिया रिपोर्ट की कॉपी लौटा दी. कोर्ट ने कहा कि संस्थानों का सम्मान और उनकी मर्यादा बनी रहनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने यहां तक कहा कि मैं आपको कोई कागज दूं और मेरा स्टाफ बीच में ही उड़ा ले, ये क्या है. इसके अलावा कोर्ट ने सोमवार को दिए गए जवाब का लिफाफा भी नरीमन को लौटा दिया.

वरिष्ठ वकील फली नरीमन भी यहां भावकु दिखे और उन्होंने कहा, 'मैं पिछली सदी से कोर्ट में हूं. मुझे कोर्ट में 67 साल हो गए हैं, लेकिन ऐसी घटना कभी नहीं हुई. इतना अपसेट कभी नहीं हुआ.'

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