Monday, February 25, 2019

10406亿元!A股成交回牛市水平!春天来了?

  中新网客户端北京2月25日电 (记者 程春雨 姚露)成交额破万亿,券商股罕见集体涨停!

  全国天气正在转暖,A股也正迎来春天,甚至有观点认为牛市已经到来,现在只是刚刚开始。

  2019年初以来,沪指已经累计涨超400点,先后收复2500点、2600点、2700点、2800点、2900点五个整数关口,不断刷新年内新高。

  25日,国内股市在七周连涨基础上,跳空高开、巨量大涨,沪指一天涨超150点,收复2900点关口。

  三大股指齐齐收复年线

  25日,三大指数跳空高开高走,普涨格局延续,市场情绪乐观,沪指、深成指、创业板指三大股指均重新站上年线,传递极强的拐点性信号。

  截至收盘,沪指报2961.28点,涨5.6%;深成指报9134.58点,涨5.59%;创指报1536.37点,涨5.5%。

  在关键整数关口看,沪指在上周五收复2800点后,25日涨点,强势收复2900点,创8个月新高;深成指则涨近500点,越过9000点的障碍,直指万点大关;创业板指强势攻克1500点,创7个月新高。

  10406亿元!成交额回牛市水平

  春节后,A股成交量跟爬楼梯一样,逐级上涨。近一个星期的成交量更是大幅放量并保持在高位不变,并先后突破5000亿元、6000亿关口。

  10406亿元!25日A股放出天量成交额,重回2015年牛市水平。市场上,资金做多热情继续高涨,两市仅13只个股下跌。

  单单沪指半天成交额就超过了上一个交易日全天的成交额。沪指全天4660亿元成交额,创下2015年11月以来的新高。

  国盛证券分析师张启尧表示, A股25日大涨主要是由于周末利好消息偏多,包括中国高层对于金融工作的部署、对资本市场定位的确认,带动券商等金融板块走强,提振了市场信心。

  中共中央政治局2月22日下午就完善金融服务、防范金融风险举行第十三次集体学习。就推动金融业高质量发展作出了重要部署。

  券商股罕见集体涨停

  25日,券商股延续强势,42只券商股集体涨停,继续带领金融股巩固大盘的春季攻势。

  梳理显示,春节以来,券商板块已经累计涨幅超36%,成为农历猪年最牛板块。

  在熟悉股市的市场人士看来,券商股率先上涨是股市走牛的一个预兆。2015年牛市起步之时,也是券商股率先领涨股市,因为牛市意味股市成交量高,对券商经纪业务等带来实际的业绩利好。

  中信建投证券认为,2019年证券业有望在拓展科创企业融资渠道、支持传统产业资源整合、协助外资入华和中资出海等方面拓宽业务边界,从而边际提高净资产收益率水平,稳步抬升长期价值。

  科技股奠定“春季攻势”基础

  与券商股一起带领A股上涨的还有5G概念股,作为市场最明确的投资主题,5G概念股今年先于券商爆发。

  5G概念板块春节后累计涨幅达28%,OLED概念股累计涨超40%,成为带领科技股A股上涨的一个中坚力量。

  25日,与5G相关科技板块集体上涨,软件服务、互联网板块涨幅超6.5%。市场风向标东方通信25日一字涨停,实现6连板(11天10板),持续给市场打开想象空间。

  华为概念股25日涨逾6%。24日晚间,华为推出旗下首款5G折叠屏手机Mate X,8+512GB版本定价2299欧元,折合人民币约17500元。华为Mate X手机一经发布便引热议,登上微博热搜榜。

  华为之外,小米、OPPO、摩托罗拉、LG等厂商也在5G、可折叠屏幕手机上动作频频。众多分析人士认为,2019不仅是折叠屏手机的爆发元年,也将是大尺寸柔性显示产品的元年。

  在新时代证券首席经济学家潘向东看来,A股这一轮上涨,主要在于宽信用效果显现,市场流动性宽松和海外资金大量涌入等推动上涨。“信贷、社会融资超预期通过三个渠道影响股市:提升风险偏好;市场预期后续企业盈利会改善;无风险利率下降,提升估值。”

  在经历大幅上涨后,很多经历股市几经沉浮的A股股民最关心的一个问题:春季攻势能否延续?

  张启尧表示,近期中国官方接连发布政策推动市场做多偏好上升,且中美贸易谈判趋缓概率升高,科技热点密集轮动,A股有望进一步走强。

  根据官方消息,2月21日至24日举行的第七轮中美经贸高级别磋商,在已有基础上取得更大进展。

  广发证券认为,本轮“春季躁动”的核心逻辑未破坏(关注中美贸易进展、美联储3月议息表态,国内信用数据),核心矛盾未转移(关注两会政策、经济旺季开工高频数据),继续看好本轮行情持续性,成长股仍有反弹空间。

  “本轮A股市场的向上行情尚未结束”,平安证券最新报告指出,但是在受市场过热情绪以及金融监管政策规范影响下,短期波动震荡在所难免。(完)

Tuesday, February 19, 2019

英国脱欧:内有政党分裂 外与中、日生嫌隙

距离2019年3月29日英国脱欧的正日子只有短短40天了。然而,英国政府与欧盟的脱欧谈判进展有限,内部的政治党派之争却愈演愈烈。

周一(2月18日),英国主要反对党工党7名议员集体退党,让原本就没有头绪的政坛,显得越发分裂。

这7名工党议员退党,旨在抗议党魁杰里米·科尔宾在处理脱欧问题上的方式方法以及反犹太主义。他们还促请其他工党议员和其他党派的议员也脱党,与他们一起“建立一种全新的政治”。

其他工党议员是否会加入尚不可知,有没有其他党派的议员加入他们的阵营也仍然是未知数,倒是工党党魁科尔宾立刻表示了“失望”。

英国脱欧“懒人包”让你一次看懂10大问题
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英国防大臣:脱欧后可能在南海建军事基地
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科尔宾就这7人的退党行动发表声明为工党的脱欧政策辩护,称工党的政策在上一次大选中“激励”了数百万人 ,赢得了自1945年以来最多的选民,而这几个议员“觉得无法再继续为工党的政策效力”。

他还批评执政的保守党政府“在处理脱欧时笨手笨脚错误百出”,而工党却“制订了有凝聚力和可信的计划”。

英国工党作为最大反对党,虽然并不直接参加脱欧的决策过程,但是目前的党内分裂,却更好地说明了脱欧对英国政坛、政府以及社会造成的巨大冲击。

而另一方面,执政保守党内部在脱欧问题上面临的分裂,也已经影响到英国的外交事务。

周一(2月18日),《金融时报》披露,英国与日本就脱欧后的双边贸易谈判节外生枝:日本政府对英国官员的措辞颇为不满。

事情的经过是,英国外交大臣杰里米·亨特以及国际贸易大臣利安姆·福克斯致函日本政府,表示“时间很关键”,希望双方都表现出灵活态度。

英国政府官员坚持说,这封在2月8日发出的信,使用的都是常规标准的外交语言,但结果却让日本方面颇为不满,认为英国有抱怨日本“拖拖拉拉”的嫌疑。报道称,东京方面一度考虑要取消本周的新一轮贸易谈判。

在日本与英国生出嫌隙之前,英国财政大臣菲利普·哈蒙德的访华行程被中国方面取消的消息,周末成为英国的头条新闻。

有报道称,哈蒙德的北京之行被搁置,主要是因为英国国防大臣加文·威廉姆森在南海问题上说了些让中国不高兴的话。威廉姆森说,英国计划向太平洋派遣一艘航空母舰。

英国国防大臣在南中国海问题上的强硬态度,与英国希望在脱欧后与中国保持紧密关系的大方针显得非常脱节。正是因此,前财政大臣乔治·奥斯本批评说,政府好像仍不确定,中国到底是经济伙伴还是个军事威胁。 他说,“要搞清楚英国现任政府的对华政策相当困难。”

奥斯本曾在前首相大卫·卡梅伦时代担任财政大臣,堪称英中“黄金时代”的积极推手。他批评国防大臣还在用“过时的炮舰外交”,而财政大臣和外交大臣却在奔走说他们希望与中国建立紧密的经济伙伴关系。

这样的乱局该怎么办?正如奥斯本所说,这些都得首相特蕾莎·梅来逐一解决。

特蕾莎·梅首相的确在着手解决。周日(17日)她给保守党317名议员写了一封信,促请他们团结在脱欧协议周围,然而这可不是她写封信就能解决的问题。

在观察人士看来,这样一封信恰恰说明了执政保守党内部鼎沸的紧张气氛,以及首相协商的脱欧协议无法获得党内外支持和认同的无可奈何。

Wednesday, February 13, 2019

ईरान को झुकाना इतना मुश्किल क्यों हो गया है

वॉरसा में अमरीका की मेज़बानी में होने जा रहा मध्य-पूर्व सम्मलेन एक दिलचस्प कूटनीतिक आयोजन हो सकता है.

लेकिन पश्चिमी देशों और अरब देशों का ये सम्मेलन पोलैंड की राजधानी में क्यों हो रहा है? इसका सह-आयोजक पोलैंड मध्य-पूर्व की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए नहीं जाना जाता है.

लेकिन पोलैंड नेटो का एक सक्रिय सदस्य है और रूस के साथ उसका मुश्किल इतिहास उसे अमरीका की ओर झुकने की अच्छी वजह देता है.

पोलैंड में अमरीका का एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल ठिकाना भी हैं. पोलैंड के बहुत से नागरिक अपने देश में अमरीका का सैन्य अड्डा भी चाहते हैं.

कुछ लोगों ने इसे फ़ोर्ट ट्रंप का नाम भी दिया है. ऐसे में अमरीकी कूटनीतिक सम्मेलन का आयोजन करना उन्हें अपने हित की बात लगती है.

लेकिन इस सम्मेलन के पोलैंड में होने की एक और वजह ये है कि यूरोप में अमरीका के अन्य दोस्त देश इसकी मेज़बानी के लिए बहुत उत्साहित नहीं थे.

यूरोपीय कूटनीतिक गलियारे में इसे लेकर एक साझा असहजता भी दिख रही है. सम्मेलन क़रीब है और अभी ये स्पष्ट नहीं है कि कौन-कौन इसमें शामिल होगा और किस स्तर का प्रतिनिधित्व रहेगा.

इसलिए अब सम्मेलन के एजेंडे को और व्यापक करते हुए "मध्य पूर्व में सुरक्षित और शांतिपूर्ण भविष्य को बढ़ावा देना" कर दिया गया है.

एजेंडे में अब ईरान का नाम नहीं है जबकि मानवीय और शरणार्थी संकट, मिसाइल प्रसार और 21वीं सदी में आतंकवाद और साइबर हमलों की चुनौतियों इसमें शामिल हैं.

इसराइल-फ़लस्तीनी विवाद भी एजेंडे में शामिल नहीं है. फ़लस्तीनी इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं क्योंकि उन्होंने ट्रंप प्रशासन का बहिष्कार किया हुआ है.

कौन हिस्सा ले रहा है और क्यो?
इस सम्मेलन में कौन-कौन शामिल हो रहा है ये तब तक नहीं पता चलेगा जब तक मंत्री और अधिकारी वास्तव में यहां नहीं पहुंचेंगे.

अमरीका का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो करेंगे लेकिन माना जा रहा है कि उपराष्ट्रपति माइक पेंस और ट्रंप के दामाद जेरेड कशनर भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं.

कशनर को ही मध्य पूर्व में अमरीकी शांति योजना का आर्किटेक्ट माना जा रहा है.

ब्रितानी विदेश मंत्री जेरेमी हंट कम से कम उद्घाटन सत्र में मौजूद रहेंगे.

वहीं यूरोप के अन्य बड़े देशों की भी इसमें प्रतिनिधित्व होगा लेकिन वो निचले स्तर के अधिकारियों को ही भेज सकते हैं.

पोलैंड से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़ इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू वॉरसा आ रहे हैं. कई अरब देश अपने मंत्रियों के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल भेज रहे हैं जिनमें सऊदी अरब, यमन, जॉर्डन, कुवैत, बहरीन, मोरक्को, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और ट्यूनीशिया शामिल हैं.

1990 के दशक में मैड्रिड में हुए सम्मेलन के बाद ये पहली बार होगा जब इसराइल और उदारवादी अरब देश शांति वार्ता में हिस्सा लेंगे. शांति के कई पहलुओं पर बात होगी लेकिन चर्चा का अहम मुद्दा ईरान ही रह सकता है.

सम्मेलन में हिस्सा ले रहे देशों में ईरान को लेकर मतभेद भी हैं. अमरीका, इसराइल और कई उदारवादी अरब देश क्षेत्र में ईरान के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित हैं जो मानते हैं कि ईरान हर मौक़े का इस्तेमाल अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कर रहा है.

ये देश 2015 में ईरान की परमाणु गतिविधियों को सीमित करने के लिए हुए समझौते को लेकर भी आशंकित थे.

ख़ासतौर पर इसराइल इस मुद्दे पर सऊदी अरब और अमरीका के साथ खड़ा है.

सीरिया और लेबनान में बढ़ते ईरानी सैन्य दख़ल का सामना इसराइल कर रहा है. इस क्षेत्र में वो ईरान समर्थिक मिलिशिया और ईरानी बलों के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहा है.

नेतन्याहू ये तर्क दे सकते हैं कि ईरान को परमाणु समझौते को लेकर अमरीका और यूरोपीय देशों में हुए मतभेद के नज़रिए से न देखा जाए.

वो तर्क दे सकते हैं कि इस मुद्दे पर यूरोपीय मूल्य ही दांव पर हैं. ईरान का व्यवहार, आतंकवाद को उसका समर्थन, मानवाधिकार उल्लंघन और विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखना ऐसे मुद्दे हैं जिन पर यूरोपीय देशों को चिंतित होना चाहिए.

ये सच है कि लंदन, पेरिस और बर्लिन में विदेश मंत्री ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव और उसके मिसाइल कार्यक्रम को लेकर चिंतित हैं. लेकिन इसे लेकर क्या किया जाए इस पर अनिश्चितता है.

यूरोपीय देशों के लिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोके रखने के लिए परमाणु समझौते को बनाए रखना सबसे बड़ी चिंता है. लेकिन अमरीका, इसराइल और अरब देशों के लिए ये अपर्याप्त है.

लेकिन इस समय ब्रेक्ज़िट और कई अन्य मुद्दों को लेकर भी यूरोप का ध्यान बंटा हुआ है. ट्रंप प्रशासन के साथ लगातार टकराव और अमरीकी राष्ट्रपति के अनिश्चित नीतिगत निर्णय- जैसे की सीरिया से अमरीकी बलों को वापस बुलाना और अफ़ग़ानिस्तान से सैन्य बल बुलाने का फ़ैसला करना- जैसे निर्णयों ने हालात और बदतर किए हैं.

ईरान परमाणु समझौते से अमरीका का अलग होना और हाल ही में आईएनएफ़ निरस्त्रीकरण संधि से अलग होने से अमरीका पर यूरोप का लगातार कम हो रहा भरोसा और कमज़ोर होता है.

ऐसे में मध्य पूर्व में भले ही कितनी समस्याएं हों, ये सम्मेलन में हमें पश्चिमी खेमों में बढ़ रहे मतभेद के बारे में अधिक बतायएगा, जो हर दिन के साथ बेहतर होने के बजाए और बदतर होते जा रहे हैं.

Wednesday, February 6, 2019

मलका पुखराज... वो बातें तेरी वो फ़साने तेरेः विवेचना

हफ़ीज़ जालंधरी की नज़्म अभी तो मैं जवान हूँ को पूरी दुनिया में मशहूर करने का श्रेय अगर किसी को दिया जा सकता है, तो वो हैं मलका पुखराज.

कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के दरबार से अपने करियर की शुरुआत करने वाली मलका ग़ज़ल गायकी के उस मुक़ाम तक पहुंची, जहाँ अब तक बहुत कम लोग पहुंच पाए हैं.

उनकी मौत से एक साल पहले अंग्रेज़ी में उनकी आत्मकथा प्रकाशित हुई थी, ' सॉन्ग संग ट्रू.' दिलचस्प बात ये है कि उसको उनके देश पाकिस्तान में नहीं, बल्कि भारत में छपवाया गया था और उसको छपवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी मलका को नज़दीक से जानने वाले पाकिस्तान के जाने-माने राजनीतिज्ञ और वकील रज़ा काज़िम ने.

रज़ा काज़िम बताते हैं, ''मलका पुखराज से मेरी वाकफ़ियत हो गई थी. वो आती-जाती थीं मेरे पास. मैं उनका क़दरदान था, एक फ़नकार की हैसियत से और वो मुझ पर ऐतबार करती थीं. जब उन्होंने अपने हाथ से लिखा मसौदा मुझे दिया तो मैंने उसे पूरा पढ़ा. मैंने उनसे कहा कि मैं इसे दिल्ली में जा कर छपवाउँगा, क्योंकि उसका पाकिस्तान में छपना मुश्किल था.''

उन्होंने बताया, ''उनके दामाद जो यहां वकील थे, वो उसके छपने की सख़्त मुख़ालफ़त कर रहे थे. उसमें उन्होंने अपने रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ काफ़ी कुछ लिखा था मैंने जब उनसे उसे छपवाने की इजाज़त माँगी तो उन्होंने वो मसौदा मुझे पकड़ा दिया और कहा तुम इसका जो चाहो कर सकते हो. सलीम क़िदवई मेरे जानने वाले थे और अजीज़ दोस्त भी थे. मैंने उनसे उसे भारत में छपवाने के लिए कहा तो वो इसके लिए फ़ौरन राज़ी हो गए.''

जब सलीम किदवई को उनकी उर्दू में लिखी आत्मकथा का अंग्रेज़ी में अनुवाद करने की ज़िम्मेदारी दी गई तो उन्होंने तय किया कि इससे पहले कि वो अपने काम की शुरुआत करें, वो मलका से मिलने लाहौर जाएंगे.

सलीम बताते हैं, ''बहुत ही प्रभावशाली शख़्सियत थी उनकी, हाँलाकि उनकी उम्र हो गई थी. हमेशा 'वेल टर्न्ड आउट' रहती थीं और ऐसा लगता था कि वो हमेशा ऐसी ही रहीं होंगी. उनको हमेशा से अच्छे कपड़े और ज़ेवर पहनने का शौक था. आख़िर तक उनका ये शौक बरकरार रहा. जूते ज़रूर वो 'स्नीकर्स' पहनती थीं, ताकि उन्हें चलने में दिक्कत न हो.''

वह कहते हैं, ''शुरू में न मैं उन्हें जानता था और न ही वो मुझे जानती थीं. थोड़ी 'ऑक्वर्डनेस' थी हम दोनों के बीच लेकिन बहुत जल्दी वो ख़त्म हो गई. वो बहुत सी ऐसी बातें करती थीं, जो उस किताब में दर्ज नहीं थीं. जब मैंने एक दफ़ा उनसे कहा कि इन्हें किताब में होना चाहिए तो उन्होंने कहा नहीं, जो मैंने लिखना था वो लिख दिया है. अब और कुछ उस किताब में नहीं जाएगा.''

चिकन का मुकैश से कढ़े कपड़े का तोहफ़ा

जब सलीम क़िदवई लाहौर गए तो वो उनके लिए लखनऊ की सेवा दुकान से चिकन का मुकैश से कढ़ा कपड़ा ले गए, लेकिन वो मलका पुखराज को पसंद नहीं आया. कहने लगीं कि इससे उनकी खाल छिल जाएगी.

सलीम क़िदवई याद करते हैं, ''उन्होंने कहा कि ये हैं तो बहुत ख़ूबसूरत, लेकिन ये गड़ेगा मेरी खाल को. अबकी आना तो बिना मुकैश की कढ़ाई वाला कपड़ा लाना. फिर उन्होंने बताया कि उन्हें कौन से रंग पसंद हैं.''

बाबा नानकदेव की तस्वीर काढ़ी थी मलका पुखराज ने
मलका पुखराज की पोती फ़राज़े सैयद, जिन्हें उन्होंने गोद भी ले लिया था, बताती हैं कि उनके अंतर्मन और हाथों के बीच ग़ज़ब का सामंजस्य था.

फ़राज़े कहती हैं, ''उनका 'हैंड-राइटिंग' पर बहुत 'फ़ोकस' था और लोग मिसाल दिया करते थे कि ऐसी होनी चाहिए 'हैंड- राइटिंग.' मुझे भी वो बचपन में तख़्ती पर लिखवाया करती थीं, कलम के साथ ताकि मेरी 'राइटिंग' भी अच्छी हो जाए. लेकिन मेरी 'राइटिंग' उतनी अच्छी नहीं हो पाई. इसकी वजह से मुझे उनसे बहुत मार भी पड़ी.''

वह कहती हैं, ''वो बहुत दिल लगाकर कढ़ाई करती थीं. उनकी कढ़ाई के कपड़ों की बहुत सी 'एक्ज़ीबीशन्स' भी हुईं. उनके एक दोस्त जो टोरंटो में रहते थे और सिख थे, उनके लिए उन्होंने बाबा नानक की तस्वीर काढ़ कर उन्हें भिजवाई थी. इसके अलावा उन्हें बागबानी का भी बहुत शौक था. दिन में वो तीन-तीन, चार-चार घंटे 'गार्डनिंग' किया करती थीं.''

फ़राज़े बताती हैं, ''उन्हें खाना बनाने का भी बहुत शौक था और वो बेहतरीन खाना बनाती थीं. पूरा-पूरा दिन लगता था उनको एक हांडी बनाने में. मैं अक्सर उनसे सेब- गोश्त बनाने की फ़रमाइश करती थी. ये उनकी कश्मीर की एक 'डिश' थी. वो ख़ास सेब मंगवाती थीं एक ख़ास जगह से और फिर उन्हें सुखा कर रख देती थीं. मौसमी सब्ज़ियों को भी वो सुखा कर रखती थीं. सारा साल हमारे घर के पीछे अचार डल रहे होते थे. ये सारा काम वो खुद करती थीं. उनकी हांडी में अगर कोई चम्मच भी हिला दे, तो उनके लिए ये बहुत बड़ा मुद्दा बन जाता था.''

अपनी गाड़ी ठीक करवाने खुद जाती थीं मलका
उनमें ऊर्जा इतनी थी कि वो जून की तपती धूप में भी अपनी गाड़ी ठीक करवाने खुद जाती थीं.

फ़राज़े याद करती हैं, ''वो 'ट्रस्ट' नहीं करती थीं कि कोई उनकी गाड़ी ठीक करवा दे. दूध भी लेना हो तो वो अपने ड्राइवर के साथ बाज़ार जाती थीं, क्योंकि वो अपनी गाड़ी किसी को नहीं देना चाहती थीं. वो गाड़ी से उतर कर घंटों 'मेकैनिक' के सिर पर खड़ी रहतीं और कहा करती थीं, 'तू ऐ नहीं ठीक कीता, तू ओ नहीं ठीक कीता. तू गड्डी ठीक नहीं कीता सही तरह से'.''

Monday, February 4, 2019

जब लोकसभा में लगे नारे, ‘CBI तोता है, तोता है..तोता है’

लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है. बहुचर्चित शारदा चिटफंड घोटाले में कार्रवाई को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और पश्चिम बंगाल सरकार आमने-सामने है. सीबीआई विवाद का मुद्दा सोमवार को देश की संसद में भी गूंजा. जिस दौरान लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह सीबीआई विवाद पर जवाब दे रहे थे, तब विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. इस दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सदन में नारे लगा रहे थे, ‘CBI तोता है, तोता है..तोता है’.

दरअसल, सोमवार को जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी पार्टियों ने पश्चिम बंगाल का मुद्दा उठाया और मोदी सरकार पर सीबीआई का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने जब केंद्र पर आरोप लगाए, तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह सरकार की ओर से जवाब देने को खड़े हुए.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सीबीआई के अधिकारियों को कोलकाता पुलिस द्वारा जांच करने से रोका गया. सीबीआई को शारदा स्कैम की जांच करने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने दी है. सीबीआई अधिकारियों को काम करने से रोका गया है, ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई.

राजनाथ ने कहा कि देश की कानूनी एजेंसियों के बीच ऐसा टकराव देश के फेडरल और राजनीतिक ढांचे के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि एजेंसियों को अगर काम करने से रोका जाएगा तो इससे अव्यवस्था पैदा होगी.

विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा

लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में ही सीबीआई विवाद के कारण हंगामा हुआ. लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केंद्र सरकार CBI को हथियार बना सभी विपक्षी नेताओं को खत्म करना चाहती है.

उन्होंने कहा कि जो भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे दबाने की कोशिश हो रही है. BJO अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए CBI का दुरुपयोग कर रही है. मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा समाजवादी पार्टी नेता धर्मेंद्र यादव, TMC सांसद सौगत राय ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा.

सेना ने तत्काल मदद से किया था इंकार

गुप्ता ने सदन को बताया था कि दानापुर के इंचार्ज सेना अफसर ने इस 'अनुरोध' के बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताया था. अफसर ने इस लेटर के जवाब में लिखा था, 'सेना सिर्फ अधिकृत सिविल अथॉरिटीज के अनुरोध पर ही नागरिक प्रशासन में किसी तरह की मदद करता है. इस बारे में सेना मुख्यालय से मार्गदर्शन का इंतजार है.' तो एक तरह से सेना ने मदद से इंकार कर दिया, जिसके बाद सीबीआई ने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने असहयोग के लिए बिहार के डीजीपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

इस पार्टी में शामिल हो गए सीबीआई अफसर

तब लालू को गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखाने वाले अफसर यू.एन. बिस्वास की ईमानदारी के लिए काफी तारीफ भी हुई थी. लेकिन इस कहानी में एक और ट्विस्ट है. बाद में यह अफसर राजनीति में चले गए और आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि वह किस पार्टी में गए- तृणमूल कांग्रेस. जी हां, ममता बनर्जी ने उन्हें अपनी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का मंत्री बनाया.

Friday, February 1, 2019

सिटी ऑफ लाइट घोड़े ने जीती 120 करोड़ रुपए प्राइज मनी वाली रेस

अमेरिका के जॉकी जेवियर ने अपने घोड़े सिटी अाॅफ लाइट के साथ पेगासस हॉर्स रेस वर्ल्ड कप की डर्ट रेस जीत ली। उन्होंने 1.81 किमी की यह रेस एक मिनट 47 सेकंड में पूरी की। गल्फस्ट्रीम पार्क रेस कोर्स पर सिटी ऑफ लाइट ने शुरुआत से ही बढ़त बना ली थी। ब्रीडर्स कप क्लासिक रेस जीतने वाले घोड़े एक्सलरेट ने उसे पीछे छोड़ने की कोशिश की, पर कामयाब नहीं हुआ। बारिश के कारण ट्रैक काफी चिकना हो गया था, लेकिन इससे सिटी आॅफ लाइट की स्पीड कम नहीं हुई।

टर्फ और डर्ट पर अलग-अलग रेस
यह इस घोड़े के करिअर की आखिरी रेस थी। जेवियर और सिटी ऑफ लाइट पहली बार यहां चैंपियन बने। यह जेवियर के करिअर की 48वीं जीत है। विजेता को 21 करोड़ रुपए की प्राइज मनी मिली।

2017 में शुरू हुआ पेगासस वर्ल्ड कप दुनिया में सबसे ज्यादा प्राइज मनी वाली हॉर्स रेस है। कुल प्राइज मनी 120 करोड़ रु. है। इसने प्राइज मनी के मामले में दुबई वर्ल्ड कप (85 करोड़ रुपए) को पीछे छोड़ा।

पेगासस में टर्फ और डर्ट ट्रैक होते हैं। दोनों पर अलग-अलग रेस होती हैं। दोनों में 12-12 एंट्री होती हैं। डर्ट रेस की प्राइज मनी 64 करोड़ और टर्फ की 50 करोड़ होती है। बाकी बोनस उस टीम को मिलता है, जो दोनों टर्फ पर चैंपियन बना हो।

गल्फस्ट्रीम पार्क रेस कोर्स के बाहर 110 फीट की पेगासस नाम के काल्पनिक घोड़े की मूर्ति लगी हुई है। इस रेस का नाम इसी के नाम पर रखा गया है।

प्रीमियर लीग: चेल्सी 0-4 से हारा, लिवरपूल का मैच ड्रॉ
इंग्लिश प्रीमियर लीग के मुकाबले में चेल्सी को बॉर्नमाउथ के हाथों 0-4 से हार का सामना करना पड़ा। बॉर्नमाउथ की तरफ से जोशुआ किंग ने दो, डेविड ब्रुक्स और चार्ली डेनियल्स ने 1-1 गोल किया। वहीं लिवरपूल और लीस्टर सिटी के बीच मैच 1-1 से ड्रॉ रहा। लिवरपूल के साडियो माने और लीस्टर के हैरी ने गोल किया।

भारतीय खिलाड़ियों में अंजुम दूसरे नंबर पर
भारतीय खिलाड़ियों में बात करें तो मिताली के बाद अंजुम चौपड़ा (1995-2012) हैं। इन्होंने भारत के लिए 127 मैच खेलकर 31.38 की औसत से 2856 रन बनाए हैं। अंजुम ने एक शतक लगाया है। इनके बाद हरमनप्रीत कौर तीसरे स्थान पर काबिज हैं। हरमनप्रीत ने अब तक 93 मैचों में 34.52 की औसत से 2244 रन बनाए। इसमें 3 शतक शामिल है।

अमेरिका के पेमब्रोक पाइन्स शहर की एक सड़क पर जिस गड्ढे को राहगीर आम टूट-फूट का नतीजा मान रहे थे, जांच में वह 150 फीट लंबी सुरंग निकली। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के मुताबिक, चोरों ने सुरंग को बैंक के बेसमेंट के पास तक खोद लिया था। अब पुलिस इसकी तलाश कर रही है।