Wednesday, January 16, 2019

बच्चा रोया तो मां के प्रेमी ने पीट-पीटकर कर मार डाला

दिल्ली के कापसहेड़ा इलाके में एक 5 साल का बच्चा रोया तो उसके मां के प्रेमी ने उसे पीट-पीटकर कर मार डाला. यह घटना उस वक्त हुई जब बच्चे की मां घर पर नहीं थी. इस पूरे घटनाक्रम को दबाने के लिए प्रेमी बच्चे को अस्पताल लेकर गया और कहा कि बच्चे कि हालत लड्डू खाने के वजह से बिगड़ गई है. लेकिन इस हत्याकांड का खुलासा तब हुआ जब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आई.

पुलिस के अनुसार, बच्चे के पिता 35 साल के सूर्य प्रताप सिंह इलाहबाद के रहने वाले हैं. उनकी 2012 में शादी रानी सिंह से हुई थी. इसके बाद 2013 को उन्हें बेटा युवान सिंह हुआ. रानी एक स्कूल में पढ़ाती थी, यहां पर काम करने वाले नरेंद्र से उसकी नजदीकियां बढ़ गईं. इन कारण पति-पत्नी के रिश्ते में दरार आ गई.

दोनों के बीच झगड़े होने लगे. फिर रानी अपने बेटे युवान को लेकर प्रेमी नरेंद्र के साथ रहने लगी. इस बीच रानी नौकरी की  तलाश में इंटरव्यू देने बाहर जाने लगी. घर पर युवान नरेंद्र के साथ अकेला रहता था. वो उसे पढ़ाता भी था. फिर कल अचानक पढ़ाई करते समय गलती होने पर नरेंद्र भड़क उठा. उसने 5 साल के युवान को पटक-पटककर मार डाला. 

फिर अपनी गलती छिपाने के लिए वह उसे अस्पताल लेकर गया. उसने रानी को फोन करके कहा कि युवान ने लड्डू खाए थे. इस वजह से उसकी तबियत खराब हो गई. इस बीच युवान ने दम तोड़ दिया.

पोस्टमार्टम से हुआ खुलासा...

जब युवान का पोस्टमार्टम हुआ तो डॉक्टर हैरान रह गए. उन्होंने देखा कि युवान की मौत लड्डू खाने से नहीं हुई है. बल्कि उसे बेरहमी से पीटा गया. इसके बाद डॉक्टर्स ने पुलिस को इसकी जानकारी दी.

पुलिस ने नरेंद्र को हिरासत में लिया तो उसने युवान को पीटने की बात बताई. महिला को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. हालांकि, उसने हत्या में शामिल होने की बात से इनकार किया है. दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है.

सपा अपने कोटे से आरएलडी को दो सीटें दे सकती है, लेकिन वो सीधे तौर पर नहीं होंगी. वो सीटें ऐसी होंगी, जहां आरएलडी उम्मीदवार सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ेगा. सूत्रों की मानें तो इसके लिए आरएलडी को पहले ही इस फॉर्मूले को बता दिया गया है. अखिलेश यादव और जयंत की पहले हुए बैठक में ही इस बात की जानकारी दे दी गई थी कि दो सीटें आरएलडी अपने चुनाव चिन्ह पर लड़े और दो सीटें कैराना मॉडल के तहत.

दिलचस्प बात ये है कि आरएलडी अपने सियासी सफर में सबसे संकट के दौर से गुजर रही है. मौजूदा दौर में उसके पार्टी के एक विधायक है जो राज्यसभा चुनाव में बीजेपी से जुड़ गए हैं. इसके अलावा 2014 के लोकसभा चुनाव में अजित चौधरी और जयंत चौधरी भी जीत नहीं सके थे. बता दें कैराना उपचुनाव में सपा बसपा के समर्थन से आरएलडी उम्मीदवार ने जीत हासिल कर पार्टी का खाता खोला था. हालांकि, ये सपा के उम्मीदवार थे, जिन्हें आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा था.

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