Monday, March 18, 2019

कुंभ 2019: 360 वीडियो : संगम केवल नदियों का ही नहीं, एकाकी मन का भी

360 डिग्री वीडियो देखने के लिए गूगल क्रोम, ओपेरा , फायरफ़ॉक्स और इंटरनेट एक्सप्लोरर का लेटेस्ट वर्जन होना चाहिए.

इन वीडियो को स्मार्टफोन पर देखने के लिए यूट्यूब का लेटेस्ट वर्जन होना चाहिए.

कुंभ मेला, ये दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक जमावड़ा है. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा और यमुना के संगम पर मकर संक्राति से लेकर शिवरात्रि के बीच 49 दिनों का आयोजन हुआ. पिछले दो दशकों में ये एक बड़े इवेंट के तौर पर उभरा है.

कुंभ मेले का आयोजन उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में भी होता है.

राज्य सरकार के मुताबिक जनवरी से मार्च तक चले इस आयोजन में 22 करोड़ लोग शामिल हुए.

हिंदू धर्म में मान्यता है कि नदी में डुबकी लगाकर पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

साधु-संत अपने शरीर पर राख मलते हैं और 'हर-हर गंगे' के मंत्रोच्चारण के साथ गंगा में डुबकी लगाते हैं. इन सबके इतर कुछ लोग आध्यात्मिक मोक्ष के लिए नदी के किनारे महीने भर रहते हैं. इन्हें कल्पवासी कहा जाता है.

कई लोगों के लिए ये आयोजन आध्यात्मिक सभा से ज़्यादा एक ऐसी जगह है जहां लोग आकर अपने अकेलेपन से छुटकारा पाते हैं.

बीबीसी वर्चुअल रिएलिटी टीम ऐसी ही दो कल्पवासी महिलाओं गिरिजा देवी (68) और मनोरमा मिश्रा (72) से मिली. ये दोनों ही महिलाएं कुंभ मेला 2019 में पहली बार मिलीं और एक दूसरे की करीबी दोस्त बन गईं.

मनोरमा मिश्रा ने बताया, ''गांवों में रहने वाले बुज़ुर्गों का अकेलापन एक बड़ी समस्या है. नौजवान नौकरी और शिक्षा की तलाश में शहरों में आ जाते हैं लेकिन हम बूढ़े पीछे छोड़ दिए जाते हैं. हमारे पास कोई विकल्प नहीं होता. उनका भविष्य और ज़िंदगियां भी ज़रूरी हैं. ''

''मेरे चार बेटे और तीन बेटियां हैं, लेकिन उनमें से कोई भी मेरे साथ नहीं रहता. इसलिए कुंभ में आना मुझे बेहद खुशी देता है. यहां मैं अपनी उम्र के लोगों से मिलती हूं और हम एक परिवार की तरह बन जाते हैं. ''

गिरिजा देवी का भी यही कहना है. वह कहती हैं, ''मेरे पति ने शादी के दो साल बाद मुझे ये कह कर छोड़ दिया कि मैं बहुत छोटी हूं. इसके बाद मैं अपने पिता के साथ रहती थी 15 साल पहले उनकी भी मौत हो गई. कई बार तो मेरा दिन बिना किसी से बात किए हुए ही बीत जाता है. कुंभ मुझे मेरे अकेलेपन से दूर करता है. ये एक अस्थायी सुख है.''

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