Friday, April 5, 2019

अमेरिका की वजह से अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा कचरा, कुल कचरे का सिर्फ 1.07% भारत का

नई दिल्ली. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भारत के एंटी-सैटेलाइट हथियार के परीक्षण से निकले मलबे को खतरनाक बताया था। नासा प्रमुख जिम ब्राइडनस्टाइन का कहना था कि भारत के इस परीक्षण से 400 टुकड़े हुए जो अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे हैं। यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) और उसमें रह रहे एस्ट्रोनोट्स के लिए खतरा है। हालांकि, नासा के खुद के आंकड़ों के मुताबिक, अंतरिक्ष में बाकी देशों के मुकाबले अमेरिका का कचरा सबसे ज्यादा है। वहीं, भारत ने कहा है कि ए-सैट के परीक्षण से जो टुकड़े अंतरिक्ष में मौजूद हैं, वे कुछ ही समय में नष्ट होकर धरती पर आ गिरेंगे।

अब अमेरिका ने कहा- मलबा वायुमंडल में आते ही जल जाएगा
भारत के परीक्षण के 9 दिन बाद अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने मलबे को लेकर संभावना जताई है कि वह वायुमंडल में ही जलकर नष्ट हो जाएगा। डीआरडीओ ने 27 मार्च को एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (ए-सैट) का परीक्षण किया था।

अंतरिक्ष में 19,173 टुकड़े, इनमें से 34% अमेरिका के

अंतरिक्ष में मौजूद कचरे को नासा अपने हिसाब से मॉनिटर करता है। नासा की नवंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष में 19,173 टुकड़े घूम रहे हैं, जिनमें से 34% अमेरिका और सिर्फ 1.07% भारत के हैं। अंतरिक्ष में अमेरिका के टुकड़े 6,401 घूम रहे हैं, जबकि भारत के सिर्फ 206 हैं।

नासा के मुताबिक, अंतरिक्ष में भारत के 89 टुकड़े पेलोड और 117 टुकड़े रॉकेट के हैं। भारत से करीब 20 गुना ज्यादा कचरा चीन का है। उसके 3,987 टुकड़े अंतरिक्ष में हैं।

भारत के एंटी-सैटेलाइट परीक्षण के बाद नासा का कहना है कि इससे 400 टुकड़े बिखर गए। इस हिसाब से मानें तो अभी अंतरिक्ष में भारत के 606 टुकड़े मौजूद होंगे। उसके बाद भी ये कुल कचरे का सिर्फ 3.12% हैं।

10 साल में अमेरिका के 2,142 टुकड़े बढ़े, भारत के सिर्फ 62 बढ़े
नासा के आंकड़ों के मुताबिक, 10 साल में अंतरिक्ष में करीब 50% कचरा बढ़ा है। सितंबर 2008 तक अंतरिक्ष में 12,851 टुकड़े मौजूद थे, जिनकी संख्या नवंबर 2018 तक बढ़कर 19,173 पहुंच गई। इस दौरान अंतरिक्ष में अमेरिका की गतिविधियों से जहां 2,142 टुकड़े बढ़े, वहीं भारत से सिर्फ 62 टुकड़े बढ़े। सितंबर 2008 तक अंतरिक्ष में अमेरिका के 4,259 और भारत के 144 टुकड़े थे।

चीन ने 2007 में परीक्षण किया था, इससे करीब 2,500 से ज्यादा टुकड़े बिखरे थे
चीन ने सबसे पहले 2007 में केटी-1 रॉकेट से एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया था। इससे चीन ने अपने मौसम उपग्रह फेंग युन 1-सी को धरती से 800 किमी की ऊंचाई पर लो-अर्थ ऑर्बिट में मार गिराया था। इस परीक्षण के बाद 2,500 से ज्यादा टुकड़े बिखर गए थे। नासा के आंकड़े भी यही कहते हैं। नासा के मुताबिक, सितंबर 2006 तक अंतरिक्ष में चीन के 376 टुकड़े मौजूद थे, जिनकी संख्या अक्टूबर 2007 तक बढ़कर 2,631 हो गई। वहीं, सितंबर 2008 तक अंतरिक्ष में चीन के 2,774 टुकड़े थे।

भास्कर नॉलेज: क्या होता है अंतरिक्ष का कचरा और इसका क्या होता है?

अंतरिक्ष में जो कचरा होता है, उसे 'स्पेस डेब्रिस' या 'ऑर्बिटल डेब्रिस' कहते हैं। ये कचरा अंतरिक्ष में इंसानों की भेजी गई चीजों से होता है। इसमें रॉकेट के टुकड़े, सैटेलाइट के टुकड़े, एस्ट्रोनॉट द्वारा छोड़ा गया सामान शामिल होता है। कुल मिलाकर, यह ऐसा कचरा होता है, जिसका अब अंतरिक्ष में कोई इस्तेमाल नहीं बचा। नासा के अनुमान के मुताबिक, रोजाना कम से कम एक टुकड़ा धरती पर आता है। ये टुकड़ा या तो धरती पर कहीं न कहीं गिर जाता है या फिर वायुमंडल में आते ही जल जाता है। अंतरिक्ष का ज्यादातर कचरा पानी में ही गिरता है, क्योंकि धरती पर 71% हिस्से में पानी है।

अप्रैल 2018 में चीनी स्पेस स्टेशन थियांगोग के पृथ्वी से टकराने का अनुमान था। इसे लेकर काफी चिंता जताई गई थी, लेकिन ये समुद्र में गिर गया था। इससे पहले 1979 में नासा का स्पेस सेंटर स्कायलैब भी धरती पर गिरा था, लेकिन वो भी समुद्र में ही गिरा था।

1957 में सोवियत संघ ने दुनिया का पहला आर्टिफिशियल सैटेलाइट 'स्पूतनिक' लॉन्च किया था। इसके बाद से अब तक 8,950 सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़े जा चुके हैं। इनमें से 1,950 सैटेलाइट ही काम कर रहे हैं।

यूरोपियन स्पेस एजेंसी की गणना नासा से अलग है। इसके मुताबिक, अंतरिक्ष में जनवरी 2019 तक 10 सेंटीमीटर से बड़े 34 हजार टुकड़े मौजूद हैं। जबकि 1-10 सेमी तक के 9 लाख और 1 सेमी से छोटे 12.80 करोड़ टुकड़े हैं।

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