Monday, April 15, 2019

कैसे हुआ इसराइल का चंद्र अभियान नाकाम

इसराइल का पहला चंद्र अभियान नाकाम हो गया है. चंद्रमा की सतह पर उतरते ही उसका अंतरिक्ष यान बेरेशीट क्रैश हो गया.

बेरेशीट के इंजन में ख़राबी आ गई थी और लैंड करते सयम रोवर का ब्रेकिंग सिस्टम विफल हो गया.

इस मिशन का मुख्य लक्ष्य तस्वीरें लेना और कुछ प्रयोगों को अंजाम देना था.

इसराइल इसकी सफलता के साथ ही चांद पर उतरने वाला चौथा देश बनना चाहता था.

अब तक रूस, अमरीका और चीन की सरकारी एजेंसियों ने चांद पर अपने यान उतारने में सफलता पाई हैं.

इस मिशन के प्रमुख मॉरिस कान ने कहा, "हम कामयाब नहीं हुए, लेकिन निश्चित रूप से हमने कोशिशें कीं."

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हम जहां तक पहुंचे उसे हासिल करने की उपलब्धि भी वास्तव में ज़बरदस्त है, मुझे लगता है कि हम इस पर गर्व कर सकते हैं."

तेल अवीव के नियंत्रण कक्ष से इस पर नज़र बनाए हुए प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा, "यदि पहली बार में सफलता नहीं मिलती है तो आपको दोबारा कोशिश करनी चाहिए."

चंद्रमा पर पहुंचने के लिए सात हफ़्ते की यात्रा के बाद, मानवरहित अंतरिक्ष यान चांद की सतह से 15 किलोमीटर दूर इसकी अंतिम कक्षा में पहुंचा.

इस दौरान कमांड सेंटर में तनाव अधिक था क्योंकि अंतरिक्ष यान से संपर्क नहीं हो पा रहा था. इसी दौरान इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के अंतरिक्ष विभाग के प्रमुख ने घोषणा की कि अंतरिक्ष यान में ख़राबी आ गई है.

उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से हम चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने में कामयाब नहीं हो सके हैं."

उन्होंने बताया, "हम इंजन को स्टार्ट करने के लिए अंतरिक्ष यान को रीसेट कर रहे हैं."

कुछ सेकेंड के बाद इंजन स्टार्ट हो गया तो कमांड सेंटर में मौजूद लोगों ने तालियों से इसका स्वागत किया लेकिन कुछ ही पल बाद अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया. इसके साथ ही यह मिशन समाप्त हो गया.

अंतरिक्ष यान अमरीका के फ्लोरिडा राज्य में स्थित केप केनेवरल एयर फोर्स स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था.

यह 'स्पेसआईएल' और 'इसराइल अंतरिक्ष एजेंसी' की संयुक्त भागीदारी से शुरू किया गया प्रोजेक्ट था जिस पर 100 मिलियन डॉलर की लागत आई.

आज जब चांद पर पहुंचने में केवल कुछ दिनों का समय लगता है वहीं इस अंतरिक्ष यान को यहां तक पहुंचने में तीन हफ़्ते का समय लगा. आखिर इसकी वजह क्या थी.

22 फ़रवरी को बेरेशीट की अंतरिक्ष उड़ान शुरू होने से 4 अप्रैल को चांद के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश तक इसने कई बार पृथ्वी के चक्कर लगाए.

पृथ्वी से चंद्रमा तक औसत दूरी क़रीब 3 लाख 80 हज़ार किलोमीटर की है. लेकिन अपनी यात्रा के दौरान बेरेशीट ने इससे 15 गुना अधिक दूरी तय की.

अब इसके पीछे वजह इसकी लागत को कम करने की थी. इसे सीधे-सीधे चांद पर भेजा जा सकता था लेकिन बेरेशीट को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से प्रक्षेपित करने के दौरान इसके साथ एक संचार उपग्रह और एक प्रायोगिक विमान भी भेजा गया था.

निश्चित ही अंतरिक्ष की यात्रा में रॉकेट शेयर करने से इसकी लागत कम हो गई- लेकिन साथ ही इस अंतरिक्ष यान को कहीं जटिल और मुश्किल रस्ते से गुजरना पड़ा.

इसराइली अंतरिक्ष यान का चांद पर सकुशल उतरना सबसे चुनौतीपूर्ण काम था.

इसका इंजन ब्रिटेन में बना था. जिसे नम्मो (Nammo) ने वेस्टकोट, बकिंघमशायर में विकसित किया था.

1.5 मीटर के इस अंतरिक्ष यान को चांद पर उतरने के दौरान लगातार अपनी रफ़्तार कम करनी थी, इसमें ब्रेक का सबसे बड़ा किरदार था ताकि यह अंतरिक्ष यान सकुशल चांद पर उतर जाए.

लैंडिंग से पहले नम्मो के सीनियर प्रपल्शन इंजीनियर रॉब वेस्कॉट ने कहा, "हमने इस तरह के एप्लिकेशन में इंजन का उपयोग कभी नहीं किया है."

उन्होंने कहा कि यह सबसे बड़ी चुनौती होगी "चांद पर उतरने के दौरान इसके इंजन को चालू रखना होगा और यह बहुत गरम हो जाएगा. फिर इसे थोड़े समय के लिए बंद करना होगा और जब यह पूरी तरह से गरम ही रहेगा तो इसे दोबारा चालू करना होगा, बहुत सटीक रूप से ताकि यह धीमी गति में चांद पर लैंड कर सके."

ओपन यूनिवर्सिटी में अंतरिक्ष विज्ञान की प्रोफेसर मोनिका ग्रैडी कहती हैं, "यह वास्तव में लैंडिंग साइट को बहुत करीब से देखने जैसा है. इससे प्राप्त डेटा हमें यह जानने में मदद करेंगे कि चांद की चुंबकीय माप वहां के भूविज्ञान और भूलोग के साथ कैसे फिट होते हैं, जो वास्तव में यह समझना है कि चांद बना कैसे था."

उन दो कामयाबियों के क़रीब 50 साल बाद इस साल 3 जनवरी, 2019 को चांद पर अपने अंतरिक्ष यान चेंज-4 को उतार कर चीन ऐसा करने वाला तीसरा देश बना है.

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